Uttar Pradesh (UP) TGT/PGT Recruitment News 2015

 

अध्यक्ष-सदस्यों की योग्यता एवं नियुक्ति को लेकर विवादों में आने के बाद सरकार की पहल भंग होगा चयन बोर्ड, बदलेगा योग्यता का मानक कार्यकर्ताओं को उपकृत करने का माध्यम बने भर्ती आयोग

प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों, डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए गठित भर्ती आयोग प्रदेश में मौजूदा सरकार की ओर से अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को उपकृत करने के साधन बन गए हैं। प्रदेश में जिस पार्टी की सरकार बनती है, सत्ताधारी दल अपनी पार्टी के लिए काम करने वाले वाले कार्यकर्ताओं को अध्यक्ष एवं सदस्य के रूप में मनोनीत करके अपने लोगों को माध्यमिक एवं डिग्री कॉलेजों में शिक्षक बनने के लिए रास्ता आसान करते हैं। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में तैनात रहे अध्यक्ष एवं सदस्यों में चैन सुख भारती, डॉ. आरपी वर्मा, धनंजय गुप्ता पूर्ववर्ती बसपा सरकार के जमाने में नियुक्त हुए थे। यह सभी अध्यक्ष बहुजन समाज पार्टी से सक्रिय तौर पर जुड़े थे। इसमें चैन सुख भारती तो बसपा सरकार के दौरान मंत्री भी रह चुके थे। •अमर उजाला ब्यूरो इलाहाबाद । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड बीते चार वर्ष से लगातार विवादों में बना है। विवादों के बीच अब तो कोर्ट की सक्रियता के कारण चयन बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति रद्द करने के साथ तीन सदस्यों के काम पर रोक लगा दी गई है। चयन बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्यों की योग्यता पर सवाल उठाए जाने के बाद तो कोर्ट ने प्रधानाचार्य के इंटरव्यू के रिजल्ट की घोषणा पर रोक लगा दी है। सूत्रों का कहना है कि विवादों से बचने के लिए अब सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को भंग करके इसका नाम उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग करके अध्यक्ष एवं सदस्यों की योग्यता का मानक बदलने की तैयारी हो रही है। प्रदेश में नई सरकार के गठन के साथ प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में टीजीटी-पीजीटी शिक्षकों के चयन के लिए शिक्षक आयोग का नए सिरे से गठन किया जाता है। पूर्व में बसपा सरकार ने चयन बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्यों के कार्यकाल को छह वर्ष से कम करके दो वर्ष कर दिया था। इस कारण से पूर्ववर्ती सरकार की ओर से नियुक्त सदस्य एवं अध्यक्षों को अपना कार्यकाल समय से पहले पूरा करके जाना पड़ा। 2012 में प्रदेश में सपा सरकार के गठन के बाद अध्यक्ष को हटाने के बाद सरकार ने चयन बोर्ड के मानक में कोई बदलाव नहीं किया। अब अभ्यर्थियों एवं कोर्ट की ओर से अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति एवं योग्यता के मानक को लेकर लगातार सवाल उठाने के बाद सरकार की ओर से चयन बोर्ड भंगकर इसके नए सिरे से गठन की तैयारी चल रही है। इसमें अध्यक्ष एवं सदस्य की योग्यता के मानक में लचीला पन अपनाए जाने की संभावना है। इसके लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग नाम दिया जा सकता है।

माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सात अध्यक्ष भी नहीं कर पाए भर्ती

माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में कपड़ों की तरह अध्यक्ष बदले जाते रहे हैं। शायद इसीलिए महज चार साल में यहां सात अध्यक्ष रह चुके हैं और अब चयन बोर्ड को आठवें अध्यक्ष का इंतजार है। ताज्जुब यह है कि इतने अध्यक्ष बदलने के बाद भी किसी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकी। यह जरूर है कि अध्यक्ष एवं सदस्यों पर वेतन व भत्तों के नाम पर करोड़ों रुपए की चपत हर महीने सरकार को लग रही है।

अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों के लिए शिक्षक व प्रधानाचार्यों की नियुक्ति के जिम्मेदार माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के पास भव्य भवन एवं दफ्तरी स्टॉफ भरपूर है। नहीं है तो संस्था चलाने वाले लोगों की टीम। इन सातों अध्यक्षों में कुछ कार्यवाहक के रूप में रहे, फिर भी कई अहम फैसले लिए गए। कार्यकाल में भवन की फिनिशिंग, सीसीटीवी कैमरे आदि लगाए गए। परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन लेने की प्रणाली विकसित की गई। लेकिन वह मूल काम नहीं हुआ जिसके लिए इतना तामझाम है यानी भर्ती के नाम पर चयन बोर्ड शून्य से आगे नहीं बढ़ सका। परीक्षा, आंसर शीट, परिणाम एवं विषय आदि तक में बार-बार सवाल उठे हैं। टीजीटी-पीजीटी संघ ने कई बार मांग उठाई लेकिन वह अनसुनी कर दी गई।

कौन कब तक रहा अध्यक्ष

1. डॉ. आरपी वर्मा : 15 जुलाई 2011 से 24 अगस्त 2012 तक

2. डॉ. धनंजय गुप्ता : 24 अगस्त 2012 से चार फरवरी 2013 तक

3. डॉ. देवकीनंदन शर्मा : पांच फरवरी 2013 से छह दिसंबर 2013 तक

4. डॉ. आशाराम यादव : 30 दिसंबर 2013 से 19 अगस्त 2014 तक।

5. डॉ. परशुराम पाल : 20 अगस्त 2014 से 24 अप्रैल 2015 तक

6. अनीता यादव : 27 अप्रैल 2015 से 19 जुलाई 2015 तक

7. डॉ. सनिल कुमार : 20 जुलाई से 2015 से 5 अक्टूबर 2015 तक।