उप्र के रामपुर में पाकिस्तानी को बना दिया सरकारी शिक्षक

लो जी अब तो हद ही हो गयी लाइव हिंदुस्तान की एक खबर के अनुसार, हमारे कर्मठ प्रसाशन ने एक पाकिस्तानी नागरिक को शिक्षक बना दिया | 

रामपुर में पाकिस्तानी नागरिक को बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी दे दी गई। उसे सहायक अध्यापिका बना दिया गया। बीएसए का यह कारनामा जब पकड़ में आया तो रामपुर से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मच गया है। प्रमुख सचिव गृह ने इस मामले में डीएम-एसपी से रिपोर्ट तलब करते हुए दो जून को लखनऊ बुलाया है। उधर, शासन की सख्ती ने जिला प्रशासन की धड़कनें बढ़ा दी हैं। शनिवार को डीएम ने पुलिस और खुफिया तंत्र के अफसरों के साथ करीब घंटे भर इस गंभीर मुद्दे पर मंथन किया। बीएसए और इंस्पेक्टर एलआईयू से रिपोर्ट तलब की गई है।

पाकिस्तानी नागरिकता प्राप्त महिला को बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी दिए जाने का मामला प्रकाश में आया गया है। जिसको लेकर आज एसपी और एलआईयू के अधिकारियों के साथ बैठक की गई। उसने रिपोर्ट मांगी गई है, दो जून को प्रमुख सचिव गृह ने इस प्रकरण में बुलाया है। आगे शासन की जो गाइडलाइन होगी उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
-चंद्र प्रकाश त्रिपाठी, डीएम रामपुर

शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला आतिशबाज निवासी अख्तर अली की बेटी फरजाना उर्फ माहिरा अख्तर ने 17 जून 1979 को पाकिस्तान निवासी सिबगत अली से निकाह किया और पाकिस्तान चली गई। वहां उसे पाकिस्तान की नागरिकता मिल गई। बाद में उसने दो बेटियों को वहां जन्म दिया। जिनका नाम फुरकाना और आलिमा है। निकाह के तीन साल बाद उसके शौहर ने तलाक दे दिया। जिस पर वह अपनी दोनों बेटियों के साथ रामपुर अपने मायके आ गई। सालों मामला दबा रहा।

वीजा अवधि खत्म होने के बाद एलआईयू की ओर से शहर कोतवाली में वर्ष 1983 में विदेशी अधिनियम की धारा 14 के तहत उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया। जिस पर 25 जून 1985 को उसे सीजेएम कोर्ट से कोर्ट की समाप्ति तक अदालत में मौजूद रहने की सजा सुनाई गई। बाद में एलआईयू की ओर से नोटिस जारी करते हुए वीजा अवधि बढ़वाने को कहा गया। जिस पर खुलासा हुआ कि यह महिला तो बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापिका के पद पर प्राथमिक विद्यालय कुम्हरिया कला में तैनात है।

एलआईयू ने बीएसए के यहां से छानबीन शुरू की तो पता चला कि उसे 22 जनवरी 1992 में बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापक की नौकरी दी गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए एलआईयू ने रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी। जिसमें प्रथम दृष्ट्या बीएसए को दोषी माना गया है। मामला शासन स्तर तक पहुंचा तो हड़कंप मच गया। इस प्रकरण में प्रमुख सचिव गृह ने दो जून को शाम पांच बजे डीएम-एसपी को विस्तृत रिपोर्ट के साथ तलब किया है।

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